सदन के चल रहे शीतकालीन सत्र के लिए अनुशासनहीनता के आधार पर कम से कम 12 राज्यसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया है।
सीपीएम के एलाराम करीम, कांग्रेस के फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, सीपीआई के बिनॉय विश्वम, टीएमसी से डोला सेन व शांता छेत्री और शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई वे नाम हैं जिन्हें बीते सत्र में हंगामें के लिए यह कार्यवाई की गई है।
दरअसल इससे पहले 11 अगस्त को, राज्यसभा में एक ऐसा दृश्य देखा गया था जब सदन ने नए सुधार क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के विरोध पर चर्चा शुरू करने पर विपक्षी सांसदों ने अधिकारियों की मेज़ पर चढ़ाई की, काला कपड़ा लहराया और फ़ाइलें फेंक दीं।
कई सांसद उस मेज़ पर खड़े थे जहां संसदीय कर्मचारी कुर्सी के ठीक नीचे बैठते हैं, जबकि अन्य लोग सरकार विरोधी नारे लगाते हुए उसके चारों ओर भीड़ लगाकर खड़े थे।
कुछ सदस्य डेढ़ घंटे से ज़्यादा समय तक मेज़ों पर बैठे रहे, इस दौरान कई बार कार्यवाही स्थगित की गई। उनके निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए, शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “ज़िला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, वहां भी एक आरोपी को सुना जाता है, उनके लिए वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भी भेजा जाता है। लेकिन यहां हमारा पक्ष नहीं सुना गया।”