ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 6 और अधिकारी होंगे निलंबित, इस मामले में हुआ एक्शन

by Priya Pandey
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ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भूखंड आवंटन में हुई लापरवाही के मामले में अथॉरिटी के 6 और अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेजी है। इससे पूर्व इस मामले में ही अथॉरिटी ने 19 मार्च को कुल 5 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट भी शासन को भेजी थी। इनमें से तीन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की आवासीय भूखंडों की योजना एलओपी-03 के अंतर्गत सेक्टर-2 में एक आवंटी को भूखंड आवंटित किया गया था। निर्धारित प्रक्रिया से गुजरने के बाद अथॉरिटी की ओर से आवंटी के लिए भूखंड का लीज प्लान तैयार कर लीज डीड भी कर दी गई थी। बाद में आवंटी को भूखंड पर कब्जा देते समय पता चला कि जिस भूखंड के लिए भूखंड आवंटित किया गया था और लीज डीड प्लान व लीज डीड कराई गई थी, वह अधिग्रहित ही नहीं थी। अथॉरिटी के पास यह जमीन नहीं है।

आवंटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मनिंदर सिंह नागर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के नाम से याचिका दायर की। हाईकोर्ट द्वारा मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगे जाने पर अथॉरिटी ने तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक प्रवीण सलोनिया, प्रबंधक केएम चौधरी उर्फ ​​केडी मणि, महाप्रबंधक आरके देव, महाप्रबंधक जितेंद्र सिंह बीरवाल, लेखाकार श्रीपाल, तहसीलदार व एसडीएम की भूमिका संदिग्ध पाई, जिन्हें प्रथम दृष्टया मामले में दोषी पाया गया। सूत्रों से पता चला हाईकोर्ट की सख्ती के यह कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में पूर्व में हाईकोर्ट ग्रेनो अथॉरिटी को फटकार भी लगा चुका है।

अथॉरिटी ने मामले में कार्रवाई करते हुए सभी अधिकारियों के निलंबन की संस्तुति शासन को भेजी। साथ ही मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की। कमेटी ने मामले की जांच की और मामले में तत्कालीन पांच अन्य अधिकारियों को दोषी पाया। सहायक प्रबंधक वैभव नागर, सहायक विधि अधिकारी वंदना राघव, प्रबंधक विधि विभाग अतुल शुक्ला, वरिष्ठ ड्राफ्ट्समैन सुरेश कुमार व वरिष्ठ प्रबंधक डब्लू सुरेश के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की संस्तुति रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई है। शासन ने इस संबंध में की गई कार्रवाई से हाईकोर्ट को अवगत करा दिया है। बता दें कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास अथॉरिटी द्वारा 11 अधिकारियों के खिलाफ ड्यूटी न देने के आरोप में कार्रवाई की गई है। इनमें से अधिकतर अधिकारी दूसरी जगहों पर तैनात हैं या फिर रिटायर हो चुके हैं।

 

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