द वायर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में मंत्रियों, विपक्ष के नेताओं, पत्रकारों, लीगल कम्युनिटी, कारोबारियों, सरकारी अफसरों, वैज्ञानिकों, एक्टिविस्ट समेत करीब 300 लोगों की जासूसी की गई है।
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से करीब 40 पत्रकार हैं जिन पर फोन के जरिए निगरानी रखी जा रही थी। वहीं वॉशिंगटन पोस्ट और द गार्जियन के अनुसार 3 प्रमुख विपक्षी नेताओं, 2 मंत्रियों और एक जज की भी जासूसी की पुष्ट हो चुकी है लेकिन इनके नाम नहीं बताए हैं।
इजरायल के पेगासस सॉफ्टवेयर का हुआ इस्तेमाल
द वायर की रिपोर्ट को मानें तो इस जासूसी के लिए इजराइल के पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किया गया।बता दें पेगासस स्पायवेयर एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम है, जिसके जरिए किसी के फोन को हैक करके, उसके कैमरा, माइक, कंटेंट समेत सभी तरह की जानकारी हासिल की जा सकती है। इस सॉफ्टवेयर से फोन पर की गई बातचीत का ब्यौरा भी जाना जा सकता है।
पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी NSO ग्रुप का कहना है कि वह किसी निजी कंपनी को यह सॉफ्टवेयर नहीं बेचती है, बल्कि इसे केवल सरकारों को ही सप्लाई किया जाता है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार ने ही भारतीय पत्रकारों की जासूसी कराई?
केंद्र सरकार ने फोन हैकिंग को लेकर किया इनकार
द वायर की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने फोन हैकिंग को लेकर जवाब दिया। केंद्र सरकार ने कहा कि उसकी ओर से देश में किसी का भी फोन गैरकानूनी रूप से हैक नहीं किया है।
IT मिनिस्ट्री की तरफ से जारी चिट्ठी में कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर कानूनी प्रक्रिया का पालने करते हुए ही किसी का फोन टेप करने की इजाजत दी जा सकती है।
बड़े मीडिया हाउस निशाने पर
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, द वायर समेत दुनियाभर के 16 मीडिया संस्थान पेगासस स्पायवेयर के जरिए इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, न्यूज 18, इंडिया टुडे, द हिंदू, द वायर और द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में काम करने वाले पत्रकारों को टारगेट किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 2019 के बीच एक भारतीय एजेंसी ने 40 से ज्यादा भारतीय पत्रकारों की निगरानी की थी।