ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने कहा है कि यूक्रेन अमेरिका की ओर से पैदा किए गए संकट का शिकार है अमेरिका के कारण आज यूक्रेन इस कगार पर आ पहुँचा है। उन्होंने कहा कि ईरान यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति का समर्थन करता है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस संकट की जड़ों के बारे में सब को स्वीकार करना होगा।
#Ukraine’s situation has two important lessons. Governments that rely on the US & Europe should know their support is a #mirage and not real. Today’s Ukraine is yesterday’s #Afghanistan. Both countries’ presidents said they relied on US & Western govts but were left alone. 1/2
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) March 1, 2022
ख़ामेनेई का भाषण टीवी पर प्रसारित हुआ। इस भाषण में उन्होंने कहा कि यूक्रेन के संकट ने यह दिखा दिया है कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। आपको बता दें कि परमाणु समझौता को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच लंबे समय से गतिरोध चल रहा है। यह गतिरोध डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में शुरू हो गया था। जब अमेरिका ने परमाणु समझौते को रद्द कर दिया था। इसके बाद कई दौर की बातचीत दोनों देशों में चल चुकी है, लेकिन अभी तक इस पर कोई भी सहमति नहीं बन पाई है।
यूक्रेन को अमेरिका घसीटकर लाया इस स्तिथि में
बाइडन उनके कार्यकाल में बातचीत हुई लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। यूक्रेन संकट पर ख़ामेनेई ने कहा कि यूक्रेन जहां अभी है, उसे अमेरिका घसीटकर वहां लाया है। यूक्रेन के आंतरिक मामलों में दखल देकर, वहां रंग आधारित क्रांति पैदा करके, एक सरकार को गिरा कर दूसरे को सत्ता में लाकर, अमेरिका ने यूक्रेन को इस स्थिति में पहुंचाया है।
LIVE: Leader of the Islamic Revolution Ayatollah Seyyed Ali Khamenei delivers televised speech on the occasion of Eid al-Mab'ath https://t.co/kHCsi4pGti
— Press TV (@PressTV) March 1, 2022
अमेरिका भरोसे के लायक नहीं,यूक्रेन का इस्तेमाल किया
उन्होंने कहा कि यूक्रेन की स्थिति से एक अहम सबक मिलता है। वह सबक यह है कि जो भी सरकारे अमेरिका और यूरोप पर भरोसा करती है, उन्हें समझना चाहिए कि उनका सच्चा समर्थक नहीं है, ख़ामेनेई ने आगे बताया कि आज का यूक्रेन कल का अफगानिस्तान है। दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने कहा कि उन्होंने अमेरिका और पश्चिमी देशों पर भरोसा किया, लेकिन बाद में अकेले छोड़ दिए गए। उन्होंने कहा कि दूसरा सबक यह है कि सरकारों का अहम समर्थक के लोग होते हैं। अगर यूक्रेन के लोग इसमें शामिल होते तो उनकी सरकार इस स्थिति में नहीं होती, लेकिन वहां के लोगों को इसमें शामिल नहीं किया गया क्योंकि लोगों ने सरकार को अपनी स्वीकृति नहीं दी थी।