कई अनसुलझे मुद्दों के बीच आख़िरकार मिले जो बाइडन और व्लादिमीर पुतिन

by MLP DESK
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गहरी असहमति की संभावना और उन्हें कम करने की उम्मीदों के साथ, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बुधवार को जिनेवा विला में अपने पहले शिखर सम्मेलन के लिए बाइडन के पदभार संभालने के बाद पहली बार मिले।

 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन/Reuters

 

दोनों ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी बातचीत से अधिक स्थिर बन सकते हैं, भले ही वे हथियारों के नियंत्रण और साइबर-हैकिंग से लेकर चुनावी हस्तक्षेप और यूक्रेन तक सब पर कुछ न कुछ असहमतियाँ हैं।

विला के अंदर जाने से पहले पुतिन और बाइडेन ने हाथ भी मिलाया।

पुतिन ने बाइडन की मुलाक़ात पर कहा, “श्रीमान राष्ट्रपति, मैं आज मिलने की आपकी पहल के लिए आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ।”

उन्होंने आगे कहा, “यू.एस. और रूसी संबंधों में बहुत सारे मुद्दे इकट्ठा हो गए हैं जिनके लिए उच्चतम स्तर की बैठक की ज़रुरत है।” बाइडेन ने कहा कि वे सहयोग और आपसी हित के क्षेत्रों को निर्धारित करने का प्रयास करेंगे।

 

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राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि वे कई मुद्दों पे आपसी सहमति का प्रयास करेंगे, और ये भी जोड़ा कि, “आमने-सामने मिलना हमेशा बेहतर होता है।”

बता दें कि इस मुलाक़ात से पहले राजनीतिक विशेषज्ञों और नेताओं ने इससे किसी हल की ज़्यादा उम्मीद न करने की बात कही थी।

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, “हम इस बैठक से बड़े पैमाने पर किसी निष्कर्ष की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।” इसपर पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने भी कहा कि, “मुझे यक़ीन नहीं है कि कोई समझौता होगा।”

दोनों देशों के आपसी संबंधों में लगातार कड़वाहट बढ़ती रही है। विशेषकर रूस के 2014 के क़ब्ज़े, 2015 के सीरिया और अमेरिकी मुद्दे पर हस्तक्षेप और 2016 के चुनाव में कथित तौर पर साइबर अपराध से संबंधों का ये मामला जटिल हो गया है।

ये सम्बंध और ख़राब हुए जब नए नवेले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुतिन को “हत्यारा”क़रार दिया जिसके बाद रूस ने परामर्श के लिए वाशिंगटन में अपने राजदूत को वापस बुला लिया।

 

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संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी अप्रैल में रूस से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था। वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका “ऐसे क्षेत्रों की तलाश कर रहा है जहां एक साथ काम करने से हमारे राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाया जा सकता है और दुनिया को सुरक्षित बनाया जा सकता है”।

रूसी समाचार एजेंसियों के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि दोनों राष्ट्रपतियों को यह निर्धारित करना होगा कि “राजनयिक मिशनों के प्रमुख मुद्दों के साथ कैसे आगे बढ़ना है।”

ग़ौरतलब है कि इन सभी मुद्दों पर चर्चा ‘विला ला ग्रेंज’ में हुई जो 30-हेक्टेयर (75-एकड़) के पार्क में जिनेवा झील की ओर स्थित एक सुंदर हवेली है जहाँ भारी सुरक्षा तैनाती है।

द्विपक्षीय बैठक के बाद, बाइडन और पुतिन ने अपने व्यापक प्रतिनिधिमंडलों सहित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल थे।

शस्त्र नियंत्रण एक ऐसा क्षेत्र है जहां व्यापक असहमति के बावजूद ऐतिहासिक रूप से प्रगति संभव रही है।

फरवरी में, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने नई START संधि को पांच साल के लिए बढ़ा दिया था, जो परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करता है और उन्हें बाँटने करने के लिए भूमि, सबमरीन-आधारित मिसाइलों और बॉम्बर्स को तैनात और सीमित कर सकता है।

 

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बाइडेन ने अप्रैल में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें वाशिंगटन को मास्को पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया था। रूस को इससे प्रतिबंध से भरी नुक़सान भी हुआ और उसने इसे हटाने की अपील भी की थी।

संबंधों में तनाव के चलते, दोनों नेता खाने पर नहीं मिलेंगे। यही नहीं वे एक साथ प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के बजाय अलग-अलग ही पत्रकारों से बातचीत करेंगे।

पूर्व रूसी राजनयिक व्लादिमीर फ्रोलोव ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि पुतिन चाहते थे कि रूस के साथ सम्मान का व्यवहार किया जाए, क्योंकि वे सोवियत पोलित ब्यूरो के 1960-1980 के दशक में सदस्य रहे थे।
“बदले में, वे (मास्को) कुछ गतिविधियों में कटौती करने को तैयार होंगे,” फ्रोलोव ने कहा।

 

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इसका मतलब यह हो सकता है कि अब रूस किसी को “कोई ज़हर नहीं देगा, कोई शारीरिक हिंसा या यू.एस. और रूसी नागरिकों की गिरफ़्तारी/अपहरण या फिर घरेलू राजनीति में किसी भी हस्तक्षेप” में शामिल नहीं होगा।

‘कार्नेगी मॉस्को सेंटर थिंक टैंक’ के निदेशक दिमित्री ट्रेनिन ने बुधवार की वार्ता में बाइडन और पुतिन की इस भेंट पर कहा, “सकारात्मक अर्थों में, जिनेवा बैठक से यह सुनिश्चित होगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस शारीरिक रूप से वार न करें, ताकि एक सैन्य टकराव टल जाए।”

 

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