दुनियाभर में पेगासस बीते साल एक अहम मुद्दा रहा। इसे लेकर जाँच और आरोप-प्रत्यारोप अबतक नहीं थमे हैं। इन सबके बीच अब दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल निर्माता कंपनियों में से एक “ऐप्पल इनकॉरपोरेट” ने बीते मंगलवार को इसराइल के साइबर फ़र्म NSO ग्रुप और उसकी मूल कंपनी OSY टेक्नोलॉजीज के ख़िलाफ़ अपने पेगासस स्पाइवेयर के ज़रिए अमेरिकी ऐप्पल उपयोगकर्ताओं की कथित निगरानी करने और उन्हें निशाना बनाने के लिए मुक़दमा दायर कर दिया है।
दरअसल IPhone निर्माता NSO ग्रुप को किसी भी Apple सॉफ़्टवेयर, सेवाओं या उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग कर रहा है ताकि आगे इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।
क्या है NSO/पेगासस मामला?
ऐप्पल, पेगासस हैकिंग टूल के निर्माता एनएसओ के ख़िलाफ़ कार्यवाई करने वाली कंपनियों और सरकारों में सबसे नई कड़ी है, जो वॉचडॉग समूहों के मुताबिक़ दुनियाभर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनीतिक हस्तियों और पत्रकारों पर जासूसी कर निशाना साधता है।
इस महीने की शुरुआत में, अमेरिकी अधिकारियों ने कंपनी को ट्रेड ब्लैकलिस्ट पर रखा था। यही नहीं NSO को Microsoft Corp, Meta Platforms Inc, Alphabet Inc और Cisco Systems Inc. की क़ानूनी कार्रवाई या आलोचना का भी सामना करना पड़ा है।
एनएसओ कथित तौर पर इन कंपनियों द्वारा बनाए गए उत्पादों की सुरक्षा को दरकिनार करने और विदेशी सरकारों को हैकिंग टूल की आड़ में धोखाधड़ी बेचने के काम में शामिल है।
NSO का पक्ष
NSO, जो सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहता है कि वह केवल सरकारों और क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों(law enforcement agencies) को अपने उपकरण(tools) बेचता है और उसके ग़लत इस्तेमाल को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय भी करता है, ने अपने एक बयान में कहा कि उसके टूल्स के इस्तेमाल के ज़रिए से “हज़ारों लोगों” को बचाया गया है।
NSO के एक प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, “पीडोफ़ाइल और आतंकवादी खुलकर तकनीकी सुरक्षित ठिकानों में काम कर सकते हैं, और हम सरकारों को इससे लड़ने के लिए वैध उपकरण प्रदान करते हैं। एनएसओ ग्रुप सच्चाई की वक़ालत करना हमेशा जारी रखेगा।”
एप्पल की शिक़ायत क्या है?
कैलिफ़ोर्निया के उत्तरी ज़िले के यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर अपनी शिक़ायत में, Apple ने कहा कि NSO के टूल का इस्तेमाल “2021 में Apple ग्राहकों को निशाना बनाने और उन पर हमला करने के लिए संयुक्त प्रयासों” के तहत किया गया था। इतना ही नहीं “U.S. मोबाइल उपकरणों से एनएसओ के स्पाइवेयर द्वारा नागरिकों की जासूसी की गई जो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर सकते हैं।”
ऐप्पल ने आरोप लगाया कि एनएसओ समूह ने अपने हमलों को अंजाम देने के लिए 100 से ज़्यादा नकली ऐप्पल आईडी उपयोगकर्ता क्रेडेंशियल बनाए। Apple ने कहा कि हालांकि उसके सर्वर को हैक नहीं किया गया, लेकिन NSO ने Apple उपयोगकर्ताओं पर हमला करने के लिए सर्वर का दुरुपयोग और हेरफेर किया।
ऐप्पल ने यह भी आरोप लगाया कि एनएसओ ग्रुप सीधे हमलों के लिए परामर्श सेवाएं(consulting services) प्रदान करने में शामिल था, जो की साफ़ है क्योंकि एनएसओ बार-बार ये कहता आया है कि उसने ने ग्राहकों को अपने उपकरण बेचे हैं।
एप्पल ने कहा, “प्रतिवादी(defendants) ऐप्पल को लगातार हथियारों की इस दौड़ में शामिल होने के लिए मजबूर करते हैं: यहां तक कि जब ऐप्पल अपना हल विकसित करता है और अपने डिवाइस की सुरक्षा को बढ़ाता है, तो प्रतिवादी लगातार अपने मैलवेयर को अपडेट करके ऐप्पल के सिक्योरिटी अपडेट को ब्रीच कर देते हैं।”
Apple ने कहा कि उसे अपने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के सबसे नए वर्जन, iOS 15 का इस्तेमाल करने वाले Apple उपकरणों के ख़िलाफ़ अबतक NSO के टूल का उपयोग किए जाने का कोई सबूत नहीं मिला है।
IPhone निर्माता ने कहा कि मुक़दमे में वसूल की गई नुक़सान की किसी भी रक़म को मिलाकर, अपनी ओर से सिटीजन लैब, टोरंटो विश्वविद्यालय ग्रुप सहित साइबर निगरानी अनुसंधान समूहों(cybersurveillance research groups) को 10 मिलियन डॉलर का दान करेगा, जिसने पहली बार NSO के हमलों की खोज की थी।
ऐसे मुक़दमों से निजी जीवन में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हस्तक्षेप को नियंत्रित करने के लिए नए विकल्प तैयार होंगे। लेकिन इनका हमारी ज़िंदगी से जुड़े डेटा से छेड़छाड़ करना दुनिया के लिए ख़तरे की घंटी है। इससे निपटने के लिए सामूहिक रूप से सरकारों और बड़ी-बड़ी कंपनियों को ठोस फ़ैसले लेने की ज़रूरत है। हालांकि फ़िलहाल यह समस्या टेक्नोलॉजी के साथ क़दम मिलाकर और गहरी व जटिल होती जा रही है।