केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि उन्होंने बैंकों से ‘एक राज्य, एक उत्पाद’ एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम करने का अनुरोध किया है।
सीतारमण ने बैंकों से निर्यात प्रोत्साहन एजेंसियों, वाणिज्य मंडलों और उद्योग जगत के साथ नियमित रूप से बातचीत करने को कहा ताकि निर्यातकों की आवश्यकता को समय पर समझ सकें और उनका समाधान कर सकें।
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, दो दिवसीय मुंबई दौरे पर आईं सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच किसी तरह का एक सरल दृष्टिकोण होना चाहिए ताकि निर्यातकों को एक बेहतर पेशकश के लिए एक बैंक से दूसरे बैंक के बीच दौड़ना न पड़े।
उन्होंने कहा, ‘बैंकिंग का स्वरूप भी आज बदल रहा है। हम उद्योग के इनपुट से भी देखते हैं कि लोग बैंकिंग प्रणाली के बाहर भी वित्त जुटाने में सक्षम हैं।’
समाचार एजेंसी ANI ने वित्त मंत्री के हवाले से ट्विटर पर पोस्ट किया कि कई दशकों के बाद, स्वतंत्र भारत अब केवल उन फंड्स के लिए बैंकों पर निर्भर है जो व्यवसाय चाहते हैं।
वित्त मंत्री ने पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBS) के प्रमुखों से उनके वित्तीय प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए भी मुलाकात की। सीतारमण ने आगे कहा, ‘CASA (चालू खाता बचत खाता) जमा पूर्वी राज्यों में जमा हो रहा है। बैंकों को उस क्षेत्र में अधिक से अधिक ऋण विस्तार की सुविधा देनी चाहिए ताकि उस क्षेत्र में व्यापार विकास के लिए ऋण प्रवाह को बेहतर ढंग से बढ़ावा दिया जा सके।’
वित्त मंत्री ने रेखांकित किया कि उद्योगों को यह पता चल गया है कि उनके पास बैंकों से बाहर भी कई रास्ते हैं, जबकि बैंकों ने स्वयं बाज़ारों से राजस्व जुटाया है। सीतारमण ने विपक्षी कांग्रेस और उसके राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए उनके आरोप कि केंद्र सरकारी संपत्ति बेच रहा है, सीतारमण ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक संपत्तियों के मुद्रीकरण का मतलब उन्हें बेचना नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका स्वामित्व केंद्र के साथ बना रहेगा।