भारतीय जनता पर्टी आज 6 अप्रैल के दिन 41 साल की हो गयी है। यह पार्टी न केवल सत्ता पर आसीन है बल्कि अपने विस्तार के नए क्षितिज तलाश रही है।

आज के समय में भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी और क़ामयाब पार्टी के रूप में मौजूद है। लेकिन इस पार्टी के इतिहास की जड़ें इतनी पुरानी नहीं हैं।
70 और 80 का दशक RSS में भीतरी मतभेद का काल था। बनी-बनाई परिपाटी पर नियमबद्ध होककर चलने वाली RSS में मतभेद इस बात पर शुरू हुआ कि इसके कई नेता जहाँ एक ओर राजनीति में अहम भूमिका निभा रहे थे वहीं दूसरी ओर वे RSS कार्यकर्ता भी थे। यह बात RSS में स्थायी रूप से काम करने वाले लोगों को अखर रही थी जिस कारण उसकी ही एक शाखा ‘जनता पार्टी’ आरएसएस से अलग हो गयी। अंततः वर्ष 1980 में ‘जनता पार्टी’ के टूटने से बनती है ‘भारतीय जनता पार्टी’।
1925 में डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। RSS को BJP का मातृ संगठन माना जाता है। भाजपा के कई क़द्दावर नेता मूल रूप से RSS का हिस्सा रहे हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे। भारतीय जनता पार्टी को मज़बूत करने में अटल बिहारी वाजेपयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है।
बीजेपी का चुनाव चिह्न कमल का फूल है। कमल के फूल को बीजेपी ने हमेशा हिन्दू परंपरा से जोड़कर देखा है। BJP ने अपना पहला चुनाव 1984 में लड़ा, उस समय उसे केवल दो सीटों पर ही सीत हासिल हुई थी।
आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा भारतीय राजनीति की एक बड़ी घटना है। जिस वक़्त मंडल राजनीति के कारण हिन्दुओं के बीच तीखा मतभेद चल रहा था, ठीक उसी वक़्त आडवाणी ने अयोध्या आंदोलन के सहारे धार्मिक ध्रुवीकरण की जड़ें हिंदुस्तान में मज़बूत की थी।

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी जाती है और भारतीय राजनीति और सामाजिक संरचना का नया अध्याय शुरू होता है। इस घटना में अहम भूमिका निभाई लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती जैसे नेताओं ने।
इसके बाद 1996 के चुनावों में भाजपा एक बड़ी पार्टी बनकर उभरती है और तब राष्ट्रपति ने BJP को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया हालाँकि हालाँकि उसकी सरकार कुछ दिनों में ही गिर गयी थी। 1998 में दोबारा BJP की सरकार बनती है और अब देश के प्रधानमंत्री बनते हैं अटल बिहारी वाजपेयी।
BJP ने 1999 में एक बार फिर गठबंधन के सहयोग से चुनाव लड़ा और 294 सीटों पर यह गठबंधन क़ामयाब हुआ जिसमें 182 सीटें भाजपा के हिस्से आईं। एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने और 5 साल सरकार चलाई।
इसके बाद भाजपा कुछ वर्षों तक केंद्र में आने के लिए संघर्षरत रही। इस लिहाज़ से 2014 का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण रहा जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में 282 सीटों के साथ भारत के प्रधानमंत्री बने।
भारत की धर्मनिरपेक्ष ज़मीन पर खड़े होकर मुखरता से हिंदुत्व की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी, हिंदुस्तान के लोगों के भीतर विश्वास क़ायम कर पाने में अब तक क़ामयाब ही नज़र आती है।
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