बिहार में अग्निपथ योजना को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सरकारी और गैर सरकारी सम्पत्तियों को खूब नुकसान पहुंचाया। जिसे लेकर पटना हाईकोर्ट में सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने संबंधी याचिका दायर की गई जिसे कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है। अब उपद्रवियों से जुर्माना वसूलने पर रोक लग गई। याचिका में हिंसा भड़काने वाले की जाँच की भी मांग की गई थी।
दरअसल, कोर्ट को बताया गया कि जिम्मेदार अधिकारी उग्र आंदोलन को रोकने में नाकामयाब रहे। इस कारण कई सौ करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति को उपद्रवियों द्वारा नष्ट किया गया। जिसकी वसूली उपद्रवियों से की जाए और भड़काने वाले राजनीतिक दलों जुर्माना लगाया जाये। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस घटना को समय रहते नहीं रोक पाने वाले सरकारी अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाए और उनपर जुर्माना लगाया जाए। याचिका में आगे कहा गया कि इस उग्र और हिंसक आंदोलन के कारण न सिर्फ रेलवे को काफी नुकसान हुआ, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई। दानापुर रेल मंडल को करीब 260 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
महाधिवक्ता के दलील पर कोर्ट याचिका खारिज की
सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस आंदोलन से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह मुस्तैद थी। सरकार ने आंदोलन को रोकने के लिए सख्त इंतजाम किए थे लेकिन गलत नीयत से सरकार को बदनाम करने के लिए इस प्रकार की लोकहित याचिका दायर की गई है। राज्य सरकार ने अराजक तत्वों पर कार्रवाई की है। सरकारी संपत्ति की रक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे। महाधिवक्ता की ओर से दी गई जानकारी के बाद कोर्ट ने लोकहित याचिका को खारिज कर दिया।