उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी बहुमत के साथ जीत हासिल कर एक बार फिर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई है शपथ लेने के बाद ही पुष्कर सिंह धामी इस बार कुछ अलग अंदाज और बेबाक फैसले लेने की ओर बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड सरकार ने गुरुवार को घोषणा की है कि वह राज्य के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) का मसौदा तैयार करने के लिए एक “उच्चस्तरीय” विशेषज्ञ पैनल बनाएगी। नई सरकार के शपथ लेने के एक दिन बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में पहली राज्य कैबिनेट समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि”हमने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने का निर्णय लिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से मंजूरी दी कि जल्द से जल्द एक समिति (विशेषज्ञों की) का गठन किया जाएगा और इसे राज्य में लागू किया जाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि अन्य राज्य भी हमारा अनुसरण करेंगे”
क्या राज्य सरकार के पास UCC लागू करने का अधिकार है
उत्तराखंड मैं पुष्कर सिंह धामी के इस घोषणा के साथ जो सवाल पैदा हुआ है वह यह है कि क्या यूसीसी को लागू करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है? जो धर्म-विशिष्ट व्यक्तिगत कानूनों को खत्म करने और विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार जैसे मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक सामान्य सेट तैयार करने की परिकल्पना करता है।वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा हो सकता है, क्योंकि ये सभी विषय संविधान की अनुसूची VII के तहत समवर्ती सूची का हिस्सा हैं, जिस पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं।हालाँकि इस प्रक्रिया में एक बाधा हो सकती है। यदि संहिता किसी भी विषय पर मौजूदा केंद्रीय कानून के विरोध में है, तो राज्य को कोड को लागू करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति लेनी होगी।
हालांकि अगर उत्तराखंड में UCC लागू हो जाता है तो देश का पहला यूसीसी कानून होगा जो कि किसी राज्य सरकार द्वारा लागू किया जाएगा। देश के अलग-अलग हिस्सों में करीबन एक दशक से UCC की मांग लगातार जारी है। कई बार केंद्र में भी इसे लाने की चर्चाएं जोरों शोरों से हुई है लेकिन अब तक केंद्र में इसके लिए कोई कानून नहीं लाया गया है। वहीं उत्तराखंड सरकार की यह पहल सबसे पहला UCC कानून लागू करने की ओर बढ़ रहा है।