15 साल पुराना ब्राह्मण कार्ड खेलेंगी बसपा सुप्रीमो, अयोध्या से शुरू होगा ब्राह्मण सम्मेलन

by Sachin Singh Rathore
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अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो सभी पार्टियों कोई न कोई दांव खेलने में जुटी हुई हैं।

Credit- The Indian Express

विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने रविवार को एलान करते हुए बड़ा दांव खेला है और एक बार फिर से दलित-ब्राह्मण कार्ड चल दिया है। बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन 2007 के चुनावी अभियान की तर्ज पर होगा। शुक्रवार को लखनऊ में पूरे प्रदेश से 200 से ज्यादा ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ता बसपा दफ्तर पहुंचे थे, जहां आगे की रणनीति पर चर्चा हुई थी। दलित-ब्राह्मण-ओबीसी के फॉर्मूले के साथ मायावती 2022 चुनाव में उतरेंगी।

18 मंडलो में होगा बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन

बसपा सुप्रीमो मायावती ने बताया कि 23 जुलाई से प्रदेश के 18 मंडलों में BSP की तरफ से ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा और इसका आगाज अयोध्या से किया जाएगा। आपको बता दें इसकी ज़िम्मेदारी BSP के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को दी गई है।

विपक्ष एकजुट होकर उठाये जनता के मुद्दे

मायावती ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जनता, देश और प्रदेश के बहुत से मुद्दों पर केंद्र सरकार की जवाहदेही चाहती है लेकिन सरकार सुनना नहीं चाहती इसलिए सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट और गंभीर होकर सरकार को कटघरे में खड़ा करना चाहिए। जनता भी यही चाहती है। यह समय की मांग भी है।

ब्राह्मणों के साथ सरकार ने धोखा किया

बसपा सुप्रीमो मायावती मीडिया से बोलीं कि भाजपा सरकार की खराब नीतियों से जनता दुखी है और सभी समाज के लोगों का शोषण हो रहा है। पिछले चुनाव में BJP के बहकावे में आकर ब्राह्मणों ने उन्हें एकतरफा वोट किया था फिर भी पूरा ब्राह्मण समाज बहुत दुखी है इसलिए ब्राह्मण समाज के लोग अब बीजेपी की बहकावे में नहीं आएंगे और मुझे पूरी उम्मीद है ब्राह्मण समाज के लोग दलित की तरह अटल रहकर BSP से जुड़कर एक बार फिर से सर्व समाज की सरकार बनाएंगे।

15 साल पहले खेला था ब्राह्मण कार्ड

बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2007 में यूपी के चुनाव में 403 में से 206 सीटें जीतकर और 30 फीसदी वोट के साथ सत्ता हासिल करके देश की सियासत में खलबली मचा दी थी। इस जीत के पीछे मायावती की सोची समझी रणनीति थी।
बसपा ने प्रत्याशियों की घोषणा चुनाव से लगभग एक साल पहले ही कर दी गई थी। इसके अलावा ओबीसी, दलितों, ब्राह्मणों और मुसलमानों के साथ एक तालमेल बनाया था। बसपा इसी फॉर्मूले को फिर से जमीन पर उतारने की तैयारी में है।

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