सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक वकील से कहा कि अदालत पीड़ित लोगों और चल रहे युद्ध के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के लिए बुरा महसूस करती है, लेकिन वह रूसी राष्ट्रपति को युद्ध रोकने का निर्देश नहीं दे सकती।

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अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को रोमानिया सीमा के पास युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे भारतीय मेडिकल छात्रों को निकालने में मदद करने का भी निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी एक वकील की इस दलील पर आई है कि कई छात्र ठंड में रोमानियाई सीमा के पास फंसे हुए हैं और सरकार रोमानिया से उड़ानें नहीं चला रही है।
इस मामले को उठाते हुए सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता में बेंच ने, यह विचार किया कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को युद्ध रोकने के आदेश कैसे दे सकता है।
इस बेंच में जिसमें जस्टिस एएस बोपन्ना और हेमा कोहली भी शामिल हैं, ने कहा “हमें छात्रों के साथ सहानुभूति है, हमें बहुत बुरा लग रहा है। लेकिन क्या हम रूस के राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध रोकने का निर्देश दे सकते हैं?”
वरिष्ठ वकील एएम डार द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सरकार रोमानिया से उड़ानें संचालित नहीं कर रही है जहां छात्र जिसमें ज़्यादातर लड़कियां हैं, पिछले 6 दिनों से कड़ाके की ठंड में फँसे हुए हैं।
एएम डार ने कहा, “रोमानिया से नहीं बल्कि पोलैंड और हंगरी से उड़ानें संचालित की जा रही हैं। वो छात्र, जिनमें कई लड़कियां भी शामिल हैं, बिना किसी सुविधा के वहाँ फंस गए हैं।”
पीठ ने आगे कहा कि यूक्रेन में छात्रों के साथ उसकी पूरी सहानुभूति है और भारत सरकार अपना काम कर रही है। साथ ही यह भी जोड़ा कि वह मामले में अटॉर्नी जनरल की राय मांगेगी।
फंसे भारतीयों को निकालने के सरकार के प्रयासों के बारे में अदालत को अवगत कराते हुए, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रस्तुत किया कि केंद्र ने मंत्रियों को उन भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए भेजा है जो यूक्रेन की सीमा पार कर चुके हैं और अब तक हम इस पर विचार कर रहे हैं कि सभी को पड़ोसी देशों में जाने की अनुमति दी जा रही है।
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने आज कहा कि वह यूक्रेन के अधिकारियों के साथ संपर्क में है ताकि छात्रों को पूर्वी क्षेत्र से बाहर निकालने के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था की जा सके और यूक्रेन की पश्चिमी सीमाओं तक पहुंचने में उनकी मदद की जा सके।