रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव और युद्ध की आशंकाओं के बीच तेल की क़ीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत 7 साल के सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच गई और यह 97.44 डॉलर प्रति बैरल हो गई।
ग़ौरतलब है कि रूस ने यूक्रेन के अलगाववादियों के नियंत्रण वाले दो क्षेत्रों को मान्यता दे दी है और इन इलाक़ों में अपने सैनिकों को भेजने का आदेश दिया है। जानकारों का मानना है कि इस फ़ैसले की सूरत में सम्भावित सैन्य कार्यवाई की नींव रखी गई है।
इस फ़ैसले के बाद ब्रिटेन और कई अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर पाबंदी लगाने की चेतावनी दी है। अमेरिका आज रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा करेगा।
इन सबके कारण अब आशंका जताई जा रही है कि दुनियाभर में तेल का सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है। बता दें कि सऊदी अरब के बाद रूस तेल निर्यात करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इसके अलावा रूस प्राकृतिक गैस का भी सबसे बड़ा उत्पादक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संकट का दूरगामी असर पड़ेगा। समाचार एजेंसी बीबीसी ने मैन्यूलाइफ़ इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट की सू ट्रिन के हवाले से लिखा, “रूस पर किसी तरह की पाबंदी लगी, तो दुनिया में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कम सप्लाई होगी और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा। ये भी आशंका जताई जा रही है कि कच्चे तेल की क़ीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच सकती है।”