कोरोना के प्रकोप के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने मास्क की बाबत अपने फ़ैसले में कहा है कि अकेले कार चला रहे व्यक्ति को भी मास्क लगाना ज़रूरी है। हाई ने कहा कि वाहन पब्लिक प्लेस में चलाए जाते हैं और इस लिहाज़ से उसमें बैठने वाला व्यक्ति मास्क पहनकर ख़ुद की भी रक्षा करता है। इससे पहले दिल्ली हाइकोर्ट में कार के भीतर मास्क न लगाने पर चालान के मामले की सुनवाई हुई।

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह की पीठ ने मौखिक तौर पर कहा था कि यदि आप कार में अकेले भी हों तो भी मास्क लगाने में क्या हर्ज़ है? कोर्ट ने कहा कि यह आपकी सुरक्षा से जुड़ा विषय है, ऐसे समय में जब कोरोना इतना बढ़ रहा है, एक व्यक्ति को इतना सावधान तो होना ही चाहिए। कोर्ट ने कहा कई बार ट्रैफ़िक सिग्नल पर आपको साइड वाली विंडो खोलनी पड़ती है और चूँकि यह वायरस बेहद ख़तरनाक़ है तो यह आसानी से सामने वाले व्यक्ति को शिकार बना सकता है।

बेंच ने कहा कि सरकार जो भी नियम लागू कर रही है वह आपकी सुरक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी है और वह वायरस आपका बचाव कर रही है, इसलिए इस मामले में अहम को दूर रखकर सोचें।
बता दें कि हाइकोर्ट की यह बेंच एक याचिकाकर्ता की उस दलील पर सुनवाई कर रही है जिसमें दावा किया गया है कि 9 दिसंबर 2020 को वह अकेला कार चलाकर जा रहा था, तब दिल्ली पुलिस ने उसे मास्क न पहनने के लिए रोका और 500 रू का चालान काटा।
वहीं दूसरी ओर, स्वास्थ्यव परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से हाईकोर्ट में पेश हुए वकील फ़रमान अली मार्गे ने कहा कि ‘केंद्र सरकार की तरफ़ से ऐसा कोई निर्देश लागू नहीं किया गया है जिसमें कहा गया हो कि निजी वाहन अकेले चला रहे व्यक्ति को भी मास्क पहनना होगा’। अली ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य राज्य का मसला है और इस पर नियम बनाने व लागू करने का अधिकार भी राज्य का ही है।
ग़ौरतलब है कि इसके पहले ‘आप’ सरकार की ओर से कहा गया यह कि निजी कार अकेले चलाने पर भी मास्क लगाना अनिवार्य है। इस संबंध में बीते वर्ष अप्रैल में ही आदेश दिए गए थे, इसके बरअक्स याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 4 अप्रैल 2020 को ‘दिल्ली आपदा प्रबंधन अधिकरण’ तथा ‘केन्द्रीय स्वास्थय मंत्रालय’ की ओर से एक प्रेसवार्ता में कहा गया था कि अगर आप निजी वाहन अकेले चला रहे हैं तो मास्क लगाना ज़रूरी नहीं है।

कोर्ट ऐसे तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें चालान रदद् करने के साथ, उसकी राशि यानी 500 रु वापस दिए जाएँ। इसके साथ ही मानसिक प्रताड़ना के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जाए।
इन सभी बातों पर हाईकोर्ट ने कहा, मास्क एक “सुरक्षा कवच” की तरह है, जो पहनने वाले वाले और उसके आसपास के लोगों की भी वायरस से रक्षा करता है।
कोर्ट ने कहा यह चुनौती बड़ी और गंभीर है जिसके लिए मास्क पहनना ज़रूरी है।
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