उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बचाने को लेकर रेस्क्यू अभियान तेज कर दिया गया है। इस बीच कुछ मजदूरों ने 10 दिनों तक टनल में फंसे रहने के बाद अपने परिजनों से पहली बार बात की। यहां चल रहे बचाव कार्य में जुटे अफसरों ने मंगलवार को 6 इंच वाली पाइप लाइन के माध्यम से मजदूरों और परिजनों के बीच बातचीत संभव कराई। इन मजदूरों में से एक जयदेव ने अपने सुपरवाइजर से अपने संदेश को रिकॉर्ड करने को कहा।
जयदेव ने बांग्ला में कहा कि “कृपया रिकॉर्ड करें, मैं अपनी मां को कुछ बताऊंगा। मां, टेंशन कोरोनी आमी थिक अची। टाइम ए कहे नेबे। बाबाकेओ टाइम ए खेये नाइट बोलबे (माँ, मेरी चिंता मत करो, मैं ठीक हूँ। कृपया आप और पिताजी समय पर खाना खाएँ)।” अफसरों ने बताया कि मजदूरों से लगातार बातचीत की जा रही है और उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा है। इस बातचीत में भी सुपरवाइजर ने टनल में फंसे मजदूरों से कहा कि चिंता नहीं करें, आप सभी को जल्द से जल्द बाहर निकाला जाएगा।
इस बीच मजदूरों से पूछा गया कि क्या वे अपने परिवार के लिए कोई संदेश देना चाहते हैं। इस पर जयदेव ने अपनी बात रिकॉर्ड कराई है। इस वॉयस रिकॉर्डिंग को उसके माता-पिता को भेजा जाएगा। जयदेव के अलावा अन्य मजदूरों ने भी अपने-अपने परिवार को संदेश भेजे हैं। जिसमें उन्होंने बताया है कि टनल में वे फंस गए हैं, लेकिन सभी सुरक्षित हैं और चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है। सभी को जल्द बाहर निकालने की कोशिश हो रही है।
एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने उत्तरकाशी में चल रहे रेस्क्यू अभियान पर कहा, “एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना के इंजीनियर, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, बीआरओ व भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियां जैसी विभिन्न एजेंसियां वहां काम कर रही हैं। यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रयास है। 3-4 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी साइट पर आए हैं। उन्होंने कहा कि अंदर जहां मजदूर फंसे हुए हैं वहां पर्याप्त जगह है। राशन, दवा और अन्य जरूरी चीजें कंप्रेसर के जरिए मजदूर तक पहुंचाई जा रही है।”