ईकोटेक थ्री में बन रहा ग्रेटर नोएडा का पहला सी एंड डी वेस्ट प्लांट, ग्रेटर नोएडा के 35 सेक्टरों से 800 टन से अधिक पुराना मलबा उठा

by Priya Pandey
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ग्रेटर नोएडा का पहला सी एंड डी वेस्ट प्लांट ईकोटेक थ्री में डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएगा। इसे देखते हुए प्राधिकरण ने सेक्टरों से कंस्ट्रक्शन मलबा उठवाना शुरू करा दिया है। अब तक 35 से अधिक जगहों से निर्माण एवं विध्वंस सामग्री (सी एंड डी वेस्ट) को उठाकर इकोटेक थ्री में निर्माणाधीन प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचा दिया गया है। इस सी एंड डी वेस्ट प्लांट से मलबे को प्रोसेस कर टाइल्स आदि बनाई जाएगी, जिसका इस्तेमाल निर्माण कार्यों में हो सकेगा। ग्रेटर नोएडा में अभी तक सी एंड डी वेस्ट प्लांट नहीं बना था।


प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के निर्देश पर ग्रेटर नोएडा का पहला सी एंड डी वेस्ट प्लांट सेक्टर ईकोटेक थ्री में बनवाने का निर्णय लिया। बीते दिसंबर माह से इस पर काम शुरू हो चुका है। यह लगभग 18 माह में बनकर तैयार हो जाएगा। यह पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर बन रहा है। इस प्लांट से निकलने वाले मलबे को यहां प्रोसेस किया जाएगा। इस वेस्ट से टाइल्स आदि बनेगी। इस मलबे से लोहे को अलग करके रीसाइकिल किया जाएगा, जबकि डस्ट का इस्तेमाल गड्ढों को भरने व रोड निर्माण में किया जाएगा। इस प्लांट की क्षमता 100 टन मलबा प्रतिदिन प्रोसेस करने का है। इस प्लांट को लगा रही कंपनी राइज इलेवन प्रति टन के हिसाब से 407 रुपये शुल्क लेगी। यह कंपनी दिल्ली के बुराड़ी में सी एंड डी वेस्ट प्लांट पहले से चला रही है। वहीं, ग्रेटर नोएडा के अब तक 35 से अधिक सेक्टरों से 800 टन से अधिक मलबा उठाकर प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाया जा चुका है। प्रोसेसिंग प्लांट बना रही कंपनी इस मलबे को उठा रही है। यह मलबा बहुत पहले से एकत्रित हो रखा है। छह माह में पूरे शहर के कंस्ट्रक्शन मलबे को प्रोसेसिंग प्लांट की साइट तक पहुंचाने का लक्ष्य है। अब तक प्रोसेसिंग प्लांट न होने की वजह से यह इधर-उधर फेंका जाता रहा है। सेक्टरों के आसपास एकत्रित मलबे के उठ जाने से वहां साफ-सफाई भी हो गई है। इससे ग्रेटर नोएडा और स्वच्छ हो रहा है।

सी एंड डी वेस्ट सात कलेक्शन सेंटर बनें
सी एंड डी वेस्ट को एकत्रित करने के लिए ग्रेटर नोएडा में 10 जगह कलेक्शन सेंटर बनने हैं। इनमें से सात जगहों पर कलेक्शन सेंटर बन गए हैं। इनमें सेक्टर 10, सेक्टर एक, सिग्मा टू, बीटा वन, डेल्टा थ्री, नॉलेज पार्क थ्री व इकोटेक 12 शामिल हैं। तीन कलेक्शन सेंटर और बनने हैं। ये तीन सेंटर सेक्टर दो, ओमीक्रॉन वन और अल्फा वन शामिल हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक सलिल यादव ने निवासियों से इन तीनों जगहों पर कलेक्षन सेंटर बनने देने की अपील की है। उनका कहना है कि यह कूड़े का कलेक्शन प्वाइंट तो है नहीं। इस सेंटर से किसी तरह की बदबू की शिकायत नहीं होगी, बल्कि निवासियों को अपने घरों का मलबा डालने में सहूलियत हो जाएगी। आसपास का मलबा एकत्रित होने से साफ-सफाई भी रहेगी।

दोबारा मलबा डाला तो लगेगी पेनल्टी
सी एंड डी मसले पर बुधवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने समीक्षा बैठक भी की, जिसमें तय हुआ कि कंस्ट्रक्शन मलबे को कलेक्शन सेंटरों में ही डालें। प्राधिकरण ने चेतावनी दी है कि जिन जगहों से कंस्ट्रक्शन मलबा उठा लिया गया है, अगर वहां दोबारा से कोई व्यक्ति मलबा डालता है तो उस पर पेनल्टी भी लगाई जाएगी। बैठक में एसीईओ दीपचंद्र, जीएम एके अरोड़ा, डीजीएम सीके त्रिपाठी, डीजीएम वित्त मोनिका चतुर्वेदी, डीजीएम केआर वर्मा, वरिष्ठ प्रबंधक कपिलदेव सिंह, प्रबंधक प्रभात शंकर, जितेंद्र यादव, वैभव नागर व कंसलटेंट एजेंसी अर्नेस्ट एंड यंग के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

सी एंड डी वेस्ट के लिए इस नंबर पर करें कॉल
ग्रेटर नोएडा में कंस्ट्रक्शन मलबे को उठाने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। यह नंबर 9315906083 है। यह प्रोसेसिंग प्लांट बना रही राइज इलेवन कंपनी का नंबर है। जिस जगह कंस्ट्रक्शन मलबे को उठाया जा चुका है वहां पर अगर कोई दोबारा से मलबा डालता है, तो उसकी सूचना भी इस नंबर पर दी जा सकती है।

सीईओ का बयान

तेजी से विकसित हो रहे ग्रेटर नोएडा में सी एंड डी वेस्ट भी काफी मात्रा में निकल रहा है। प्लांट न होने से प्रोसेस नहीं हो पा रहा था। इसके लिए सी एंड डी वेस्ट प्लांट बनवाना जरूरी है। इस प्लांट के बन जाने से मलबे को प्रोसेस करके टाइल्स आदि बनाई जा सकेगी। इससे ग्रेटर नोएडा को भी और स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी। सीईओ ने ग्रेटर नोएडावासियों से शहर को स्वच्छ रखने में सहयोग की अपील की है।

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