जहां भारत में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के बाद जश्न का माहौल है वहीं इनके पीछे छुपी हुई मेहनत और सहयोग को सामने लाना भी आज ज़रूरी है। इसी कड़ी में एक नाम आता है लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्ण का, जो कि लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर होने के बाद चीफ कमिश्नर के पद पर बंगाल सरकार को अपनी सेवा दे रहे हैं।
बात उस समय की है जब आर्मी ने ओलंपिक में पदक जीतने का बीड़ा उठाया और ऐसे होनहार नौजवानों की खोज शुरू की। जब अभय कृष्णा लेफ्टिनेंट जनरल एवं कर्नल ऑफ़ दी राजपूताना राइफल्स रेजीमेंट के पद पर तैनात थे तब उन्होंने ब्रिगेडियर आदिश यादव के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया। उस टीम ने इस प्रतिभा को पहचाना और उन्हें ढूंढ निकाला और वह सारी सुविधाएं और ट्रेनिंग प्रदान की जो उनके लिए बेहद ज़रूरी थीं।
उनकी इस दूरदर्शी सोच ने देश को न केवल मेडल दिलाने में सहयोग किया बल्कि देश के नौजवानों को एक प्रेरणा और उत्साह से भी भर दिया। आज जहां देश खेल के मामलों में बहुत पीछे है, ज़रूरत है कि सरकार द्वारा ऐसे जांबाज अधिकारी को केंद्र सरकार में उच्च स्तर पर नियुक्त किया जाए और ऐसी प्रतिभा को आगे ले आने में मदद की जाए।
आज पूरा भारत वर्ष जश्न मना रहा है और अभय कृष्ण के गांव के लोग भी बेहद ख़ुश हैं। उनके भाई श्री मिथिलेश पांडे, अश्वनी पांडे एवं शैलेश पांडे का कहना है कि भारत का स्वर्ण पदक लाना उनके परिवार का ही नहीं, पूरे देश के लिए गर्व की बात है और हमें नाज़ है कि हमारे परिवार के एक सदस्य देश के लिए इतना योगदान दे रहे हैं। देश के उच्चतर सेवाओं में इस परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है और उनके इस योगदान से देश के हर नागरिक को रूबरू होना चाहिए।