भारत ने यूएनएचआरसी में रूस-यूक्रेन संकट पर क्या कहा?

by MLP DESK
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भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद यानी यूएनएचआरसी में रूस-यूक्रेन संकट पर वोटिंग से दूरी बनाई रखी है. इसके पहले भी भारत दो बार इसी मसले पर यूएनएससी में वोटिंग से बचता आया है.यूएनएचआरसी की इस आपात बैठक बुलाने के प्रस्ताव पर हुई बैठक में वोटिंग के दौरान 29 देशों ने चर्चा के पक्ष में और 5 ने इस बातचीत के खिलाफ में वोट किया. वहीं 13 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.

 

 

भारत ने इस वोटिंग से दूरी बनाकर किसी भी देश का सीधा समर्थन तो नहीं किया है लेकिन युद्ध को रोकने के प्रयास और शान्ति बहाली पर दोनों देशों को संदेश जरुर दिया है.
रूस-यूक्रेन संकट पर भारत के रूख को लेकर सभी देशों की नज़र भारत पर है. आज भारत के रूख की चर्चा पुरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बनी हुई है.

 

‘डिप्लोमेटिक डायलॉग और टिकाऊ वार्ता ही मतभेद खत्म करने का रास्ता’

भारत की तरफ से यूएनएचआरसी की बैठक में यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने चर्चा में भाग लिया.भारत ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए देश की संप्रभुता, देश में शान्ति, अंतराष्ट्रीय कानूनों और संवाद पर जोर देते हुए दोनों देशों से अपील की है.

टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि दोनों देशों के हो रहे संघर्ष को। लेकर भारत बहुत चिंतित है और दोनों पक्षों से युद्ध रोकने की अपील करता है. इसके अलावा युद्ध से उभरने के लिए कूटनीति और ईमानदार टिकाऊ वार्ता को एक रास्ता बताया है. भारत का मानना है कि बातचीत की टेबल पर बैठकर ही मतभेदों को समाप्त किया जा सकता है.

इसके साथ ही टीएस त्रिमूर्ति ने यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालने की प्रतिबद्धता को दोहराया और उन्हे निकालने के प्रयास के बारे में भी बताया. भारत ने कहा कि यूक्रेन में फंसे हजारों छात्रों और नागरिकों को निकालने के लिए जो कुछ भी कर सकता है, कर रहा है.

लेखक: गौरव मिश्र

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