इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी की सरकार को बड़ा झटका देते हुए, गठबंधन सरकार के प्रमुख सहयोगियों में से एक मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) ने विपक्षी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साथ एक समझौता कर लिया है।
MOM-P ने कथित तौर पर मंगलवार देर रात आगामी अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष का समर्थन करने के लिए देर रात अपना वोट दिया। अब इसकी औपचारिक घोषणा का इंतज़ार है।
एमक्यूएम-पी के एक प्रवक्ता ने कहा कि समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन पार्टी अपने फ़ैसले की घोषणा तभी करेगी जब अन्य सभी के इस क़दम की समन्वय समिति द्वारा पुष्टि हो जाएगी।
समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पीटीआई के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में एक प्रमुख सहयोगी (एमक्यूएम-पी) ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन का वादा किया है, जिसके बाद अब वे नेशनल असेंबली में बहुमत का समर्थन खोने का जोखिम उठा रहे हैं।
विपक्षी दलों के नेताओं और एमक्यूएम-पी ने आधी रात के बाद पार्लियामेंट लॉज में एक समझौते का मसौदा तैयार किया। एमक्यूएम-पी के सीनेटर फ़ैसल सुब्ज़वारी ने इस बात की पुष्टि की कि समझौते का मसौदा तैयार हो गया है और PPP की केंद्रीय कार्यकारी समिति और एमक्यूएम-पी की समन्वय समिति द्वारा इसकी पुष्टि के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा। साथ ही कहा कि इसे जुड़ी जानकारियां प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए बताई जाएंगी।
‘पार्टी के लोग न लें सदन में हिस्सा’
इसका मतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब नेशनल असेंबली में अपना बहुमत खो देंगे।
प्रधानमंत्री खान को अपनी सरकार को गिराने की कोशिश को विफल करने के लिए 342 के सदन में 172 वोटों की ज़रूरत है। चूंकि खान के सहयोगी अभी भी उसका समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं और सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के भीतर से लगभग दो दर्ज़न सांसदों ने विद्रोह कर दिया है, इसलिए स्थिति अभी भी नाज़ुक बनी हुई है।
इमरान खान ने मंगलवार को अपनी पार्टी के सांसदों को उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दिन नेशनल असेंबली के सत्र में भाग नहीं लेने या न आने का सख़्त निर्देश दिया, जो अप्रैल के पहले हफ़्ते में होने की संभावना है।
यह निर्देश पाकिस्तान के विपक्ष द्वारा सोमवार को नेशनल असेंबली में खान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के एक दिन बाद दिया गया है। बता दें कि 2018 में प्रधानमंत्री का पद सम्हालने वाले इमरान खान अबतक की अपनी सबसे कठिन राजनीतिक परीक्षा का सामना कर रहे हैं। ऐसे इसलिए हो रहा है क्योंकि उनकी पार्टी में दलबदल और सत्तारूढ़ गठबंधन में दरारें दिखाई दे रही हैं।