मनोज सिन्हा बोले, जम्मू-कश्मीर विभाजन की बात केवल अफ़वाह

by MLP DESK
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भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश के विभाजन की किसी तरह की कोई योजना नहीं है।

 

एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में मनोज सिन्हा ने कहा कि इस तरह की अफ़वाहें उन लोगों द्वारा फैलाई जा रही हैं जिनके अपने निजी स्वार्थ हैं।

बता दें कि दो साल पहले भारत सरकार ने इस सूबे का दो हिस्सों में बँटवारा कर दिया था और पूर्ण-राज्य के इसके दर्जे को भी ख़त्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश कर दिया था।

 

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा/NewIndianExpress

 

बीते कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में बढ़ी सैन्य मूवमेंट को देखते हुए कई जगहों पर ये कयास लगाये जा रहे थे कि इस क्षेत्र का एक बार फिर बँटवारा किया जा सकता है।
लेकिन अब उप-राज्यपाल ने इन कयासों को अफ़वाह बताते हुए, इन चर्चाओं का खंडन किया है।

दरअसल, बीते दिनों कश्मीर और जम्मू के कुछ हिस्सों में सुरक्षाबलों की संख्या अचानक बढ़ा दी गई थी जिससे अफ़वाहों और अटकलों में ज़ोर पकड़ा। कई तरह की बातों के बीच सबसे बड़ी अफ़वाह जम्मू-कश्मीर के विभाजन की थी जिसपर अब मनोज सिन्हा ने पूर्ण विराम लगा दिया है।

समाचार एजेंसी बीबीसी के मताबिक़, “पुलिस के अधिकारियों ने बताया है कि सुरक्षाबलों की तैनाती में बदलाव एक रुटीन मामला है। हालांकि, जो सुरक्षाबल इधर-उधर जाते दिखाई दिये, वो चुनावी ड्यूटी पर गये थे जिन्हें वापस बुलाया गया है। मनोज सिन्हा ने भी अपने इंटरव्यू में इसी बात को दोहराया।”

 

Credit- Al-Jazeera

 

दो साल पहले 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किया गया था, उसके पहले भी सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई थी। यही नहीं कश्मीर में मौजूद पर्यटकों और अमरनाथ यात्रियों को कश्मीर छोड़ने के लिए कह दिया गया था।

उस समय प्रदेश के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने भी यही कहा था कि “जो कुछ भी जम्मू-कश्मीर में कहा जा रहा है, वो सब अफ़वाहें हैं।” लेकिन आगे चलकर ये अफ़वाहें, सच साबित हुईं।

ग़ौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करने के बाद कश्मीर में लंबे समय तक तालाबंदी रही थी और सैकड़ों राजनैतिक कार्यकर्ताओं समेत कुछ मुख्य विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार भी कर लिया गया था। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचा था और केंद्र सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी आरोप लगा था। हालाँकि केंद्र सरकार इसे तब से अबतक देश का आंतरिक मामला ही कहती आई है।

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