बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने शनिवार को मीडिया पर अपनी पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए जातिवादी और घृणित दृष्टिकोण अपनाने का आरोप लगाया और प्रवक्ताओं को टीवी बहस का बहिष्कार करने का निर्देश दिया।
ट्वीट्स के थ्रेड में, यूपी की पूर्व सीएम ने दावा किया कि मीडिया ने पार्टी के प्रति “जातिवादी और घृणित दृष्टिकोण” अपनाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया ने “उनके आकाओं” के निर्देश पर “अम्बेडकरवादी बसपा आंदोलन को नुकसान पहुँचाने के लिए” उनका रवैया घिनौना रहा।
ट्वीट में उन्होंने लिखा, “यूपी विधानसभा आमचुनाव के दौरान मीडिया द्वारा अपने आक़ाओं के दिशा-निर्देशन में जो जातिवादी द्वेषपूर्ण व घृणित रवैया अपनाकर अम्बेडकरवादी बीएसपी मूवमेन्ट को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया है वह किसी से भी छिपा नहीं है। इस हालत में पार्टी प्रवक्ताओं को भी नई जिम्मेदारी दी जाएगी।”
दूसरी थ्रेड में उन्होंने लिखा, “इसलिए पार्टी के सभी प्रवक्ता श्री सुधीन्द्र भदौरिया, श्री धर्मवीर चौधरी, डा. एम एच खान, श्री फैज़ान खान व श्रीमती सीमा कुशवाहा अब टीवी डिबेट आदि कार्यक्रमों में शामिल नहीं होंगे।”
यह तब हुआ जब बसपा सुप्रीमो ने शुक्रवार को “जातिवादी मीडिया” को अपनी पार्टी से मुसलमानों को भगाने के लिए दोषी ठहराया और कहा कि अगर समाजवादी पार्टी सत्ता में आई तो “जंगल राज” का डर है।अपने अन्य समर्थकों को भाजपा के लिए वोट दिया।
मायावती ने आगे कहा कि यह मीडिया का आक्रामक प्रचार था जो बसपा को “भाजपा की बी टीम” के रूप में दिखा रहा था जिसने मुस्लिम समर्थकों और भाजपा विरोधी मतदाताओं को इससे दूर कर दिया।
उन्होंने इस बाबत कहा, “मुसलमानों के इस फ़ैसले से बसपा को नुक़सान हुआ क्योंकि सवर्णों, पिछड़ों और अन्य समुदायों के बीच पार्टी के समर्थकों को डर था कि अगर सपा सत्ता में आई तो जंगलराज फिर से यूपी में लौट आएगा। इसलिए इन समुदायों ने भाजपा की ओर रुख़ किया।”
उन्होंने ये भी जोड़ा कि, ‘हमें अपनी हार से सीख लेनी चाहिए और सत्ता में वापस आना चाहिए।’