हरियाणा के सोनीपत के हलालपुर में सुशील कुमार कुश्ती अकादमी में बुधवार को अज्ञात हमलावरों ने राष्ट्रीय स्तर की पहलवान निशा दहिया और उनके भाई की गोली मारकर हत्या कर दी।

Nisha Dahiya/twitter
घटना के दौरान निशा की मां धनपति भी घायल हो गईं और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें रोहतक के पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने निशा दहिया और उनके भाई सूरज के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए सोनीपत के सिविल अस्पताल में भेज दिया है। मामले की जांच की जा रही है और गोली मारने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।
सर्बिया के बेलग्रेड में शुक्रवार को कुश्ती अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में निशा दहिया ने 65 किलोग्राम भारवर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अन्य महिला पहलवानों के साथ उनके सफल प्रदर्शन के लिए उनकी प्रशंसा की थी।
निशा दहिया का करियर
निशा दहिया ने 2014 में श्रीनगर में कैडेट राष्ट्रीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और अगले साल इस उपलब्धि को फिर दोहराया।
उनका पहला अंतरराष्ट्रीय पदक 2014 में आया था जब उन्होंने एशियाई चैंपियनशिप से 49 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल के साथ वापसी की थी। इसके बाद उन्होंने अगले साल 60 किग्रा वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
उन्होंने 2015 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था। कांस्य जीतने के बाद, वे मेल्डोनियम पॉज़िटिव पाई गईं, जो एक ऐसा ड्रग है जिसे 2016 में विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी द्वारा बैन कर दिया गया था। इसके बाद, पहलवान को चार साल के प्रतिबंध का सामना करना पड़ा।
बता दें कि मेल्डोनियम वही दवा है जिसने टेनिस सुपरस्टार मारिया शारापोवा को मुश्किल में डाल दिया था। 2015 में कैडेट पदक और राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद उन्हें रेलवे में नौकरी मिलने वाली थी, लेकिन डोपिंग प्रतिबंध के बाद ये मौका उनके हाथ से निकल गया।
हालांकि, अक्टूबर में अंडर-23 राष्ट्रीय चैंपियनशिप और जालंधर में 65 किग्रा में स्वर्ण पदक जीतने के बाद निशा दहिया ने 2019 में फिर वापसी की।
स्क्रोल के अनुसार प्रतिबंध के दौरान, निशा ने ये खेल छोड़ने के बारे में सोचा जिसके बाद उनके कई क़रीबी दोस्तों में उन्हें छोड़ दिया। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।