संत रविदास की 645वीं जंयती पर रविदास समुदाय के अनुयायियों का वाराणसी के सीरगोवर्धन गांव में तांता लगा हुआ है. इस साल की जयंती चुनावों की वज़ह से खासी चर्चा में है. पहले आम दर्शनार्थी हर साल की तरह मत्था टेका करते थे लेकिन इस बार राजनेताओं का जामवाड़ा लगा हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जन्मस्थली सीरगोवर्धन नहीं पहुंच सके तो दिल्ली स्थित करोल बाग के रविदास मंदिर में मत्था टेका. वाराणसी में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, आप नेता संजय सिंह ने रविदास जी की जन्मस्थली सीरगोवर्धन में जाकर मत्था टेका और लंगर भी छका.
रविदास जयंती के चलते चुनाव टला
पंजाब में रैदासी विचारों को मानने 20 से 22 लाख लोग इस समुदाय से आते हैं. हर साल रविदास जयंती पर उनके जनस्थान सीरगोवर्धन पहुंचकर शीश झुकाते हैं. आज के दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है साथ में झाकियां भी निकली जाती हैं.
इस साल पंजाब विधानसभा के चुनाव की घोषणा होने के बाद इस जयंती को देखते हुए तारीख आगे बढ़ाई गई. पहले पंजाब में 14 फरवरी को चुनाव प्रस्तावित थे लेकिन नेताओं और पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग से अपील करने के बाद इसे 20 फरवरी किया गया. पंजाब के सीएम सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि पंजाब से लाखों की संख्या में लोग रविदास जयंती पर उत्तर प्रदेश जाते हैं.
दलित वोटरों को साधने की कोशिश
“जाति-जाति में जाति है, जो केतन के पात.
रैदास मनुष्य ना जुड़ सके, जब तक जाति ना जात.”
15वीं सदी में संत रैदास ने जातियों के बारे में यह बात कही थी. संत रैदास का मानना था कि जब तक जाति का बंधन नहीं टूट जाता तबतक सब एक नहीं हो सकते. लेकिन रजनीति में जाति एक कठोर सच बन चुकी है जिसके आधार पर वोटरों को बांटा जाता है जिसको हर पार्टी हथकंडे के रूप में अपनाती है.
पंजाब विधानसभा चुनाव में दलितों के वोट को अपनी थैली में डालने के लिए सभी पार्टियों ने रविदास मन्दिर जाकर मत्था टेका. पंजाब में 32 फीसद दलित समुदाय के लोग रहते हैं, इसमें से 12 फीसद लोग रैदास के अनुयायी माने जाते हैं. पंजाब में रैदास समुदाय के लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र जालंधर स्थित ‘डेरा सचखंड बल्लां’ है. यहां समय-समय पर राजनेता आते रहते हैं, कोई भी पार्टी डेरे से दूरी नहीं बनाना चाहती.
इसके अलावा भौगोलिक दृष्टि से पंजाब के दोआब वाले इलाके में 23 विधानसभा सीटों पर दलितों का सीधा प्रभाव है. इसमें 45 फीसद दलित जाति के लोग हैं और इसमें से भी 61 फीसद रैदास समुदाय को मानने वाले हैं.
लेखक: गौरव मिश्र