‘रूस एक वैश्विक आर्थिक और वित्तीय रूप से बहिष्कृत देश बन गया है’ – अमेरिका

by MLP DESK
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राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अमेरिका में रूसी तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रूस एक वैश्विक आर्थिक और वित्तीय समाज-च्युत(Pariah) बन गया है।

 

Credit- Reuters

 

इससे पहले मंगलवार को बाइडेन ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस पर प्रतिबंधों को बढ़ाने के लिए रूसी ऊर्जा के अमेरिकी आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ खड़े होने के अपने संकल्प में एकजुट है, “ऊर्जा निर्यात पर अंकुश लगाने के माध्यम से पुतिन की अर्थव्यवस्था और युद्ध मशीन की ताक़त को कम करने के लिए देशभर में बड़े पैमाने पर समर्थन है”।

अधिकारी ने कहा कि प्रतिबंध पुतिन के “अनावश्यक युद्ध के इस चुनाव” को आर्थिक संसाधनों से वंचित करेगा।
अधिकारी ने प्रतिबंध के बारे में बताते हुए कहा कि यह क़दम रूसी कच्चे तेल की किसी भी नई ख़रीद को रोकता है और कुछ पेट्रोलियम उत्पाद, लिक्विफ़ाईड प्राकृतिक गैस और कोयले के आयात पर रोक लगाएगा।

उन्होंने कहा, “यह रूस के ऊर्जा क्षेत्र में नए अमेरिकी निवेश पर भी प्रतिबंध लगाता है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी कंपनियां और निवेशक रूसी ऊर्जा उत्पादन के विस्तार के लिए पुतिन के प्रयासों को कम नहीं कर रहे हैं।”

अधिकारी ने आगे बताया कि अमेरिकियों को रूसी ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निवेश में भाग लेने से भी प्रतिबंधित किया जाएगा। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि अमेरिका को अपने यूरोपीय सहयोगियों के प्रतिबंध में शामिल होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि उनके पास अमेरिका के विपरीत मज़बूत घरेलू ऊर्जा उत्पादन और बुनियादी ढांचा नहीं है।

उन्होंने आगे जोड़ा, “रूसी तेल हमारे तेल के कुल आयात का 10 प्रतिशत से भी कम है, लेकिन यूरोप के आयात का एक तिहाई हिस्सा है। अगर पिछले साल की बात करें तो यूरोप रूस से छह गुना ज़्यादा तेल आयात करता है यानी लगभग साढ़े चार मिलियन बैरल यूरोप के लिए बनाम सात लाख बैरल प्रति दिन अमेरिका के लिए।”

यूक्रेन संकट के घरेलू प्रभाव पर बोलते हुए अधिकारी ने कहा, “पुतिन के अकारण और क्रूर युद्ध के कारण एनर्जी की कीमतें अधिक हो गई हैं और अमेरिकियों के लिए गैस पंप पर लगभग 75 सेंट की लागत बढ़ गई है। यानी जब से पुतिन ने नवंबर की शुरुआत में यूक्रेन की सीमा पर सैनिकों को इकट्ठा करना शुरू किया।”

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