भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम बदलने की बाबत शिवसेना ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर राजनीति करने और बदले की भावना और विद्वेष रखने का आरोप लगाया है।
बता दें कि बीते हफ़्ते केंद्र सरकार से राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया था।
केंद्र के इस फ़ैसले पर सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि, “मेजर ध्यानचंद का सम्मान राजीव गांधी के बलिदान का अपमान किए बिना भी किया जा सकता था। हिन्दुस्तान अपनी वो परंपरा और संस्कृति खो चुका है। आज ध्यानचंद भी वही महसूस कर रहे होंगे।”
मुखपत्र में आगे लिखा है, “आज ऐसे समय जब पूरा देश तोक्यो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन से स्वर्णिम घड़ी का उत्सव मना रहा है, केंद्र सरकार ने एक राजनीतिक खेल खेला है। इस खेल की वजह से बहुत लोगों का दिल दुखा है।”
शिवसेना के ‘सामना’ में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर सीधा हमला किया गया है और दावा किया है कि नाम बदलने का फ़ैसला जनभावना के तहत किया गया है, मगर इसे लेकर तो कोई विवाद ही नहीं है क्योंकि कांग्रेस भी यही किया करती थी।
सामना ने इसपर लिखा है, “अमित शाह की बात सौ फ़ीसद सही है। उनके बयान पर बहस करने का कोई मतलब नहीं क्योंकि पिछले 70 सालों में कांग्रेस सरकारों ने नेहरू, गांधी, राव, मनमोहन, मोरारजी, देवेगौड़ा, गुजराल, चंद्रशेखर के किए गए कामों को चमकाने का काम किया है।”
सामना ने आगे लिखा है, “सरकारें बदले और विद्वेष की भावना से नहीं चलतीं, और ये भी एक जनभावना है जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए।”
भजपा के नाम बदले के उद्देश्य पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र में आगे लिखा है, “बीजेपी के राजनीतिक खिलाड़ी कह रहे हैं कि राजीव गांधी ने क्या कभी अपने हाथ में हॉकी उठाई थी? सवाल वाजिब है, पर अहमदाबाद में सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर जब नरेंद्र मोदी पर रखा गया तो क्या उन्होंने भी क्रिकेट में कुछ कमाल किया था। और जब दिल्ली में स्टेडियम का नाम अरूण जेटली पर रखा गया। वहाँ भी यही मापदंड लागू हो सकता है। लोग ये सवाल पूछ रहे हैं।”
सामना ने आगे जोड़ा, “इंदिरा गांधी की हत्या आतंकवादियों ने की। राजीव गांधी की जान भी आतंकवादी हमले में गई। उनके साथ विचारों में मतभेद हो सकता है। लोकतंत्र में मतभेद की जगह होती है, मगर दोनों प्रधानमंत्रियों के बलिदान को, जिन्होंने इस देश की प्रगति में बड़ा योगदान दिया, मज़ाक नहीं बनाया जा सकता।”
उसने आगे लिखा है, “राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रखना एक राजनीतिक खेल है, जनभावना नहीं।”