उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के एक सुदूर पहाड़ी गांव में जन्मा एक लड़का आज अपनी अजय गाथा लगातार लिख रहा है। आज वह लड़का देश की सबसे अधिक आबादी वाले सूबे की सत्ता के शीर्ष पद पर लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद का शपथ ले इतिहास रच दिया। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक समझा, हम बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर रहे, योगी आदित्यनाथ की अजय गाथा की कर रहे हैं। हम आपको योगी आदित्यनाथ की संत से सियासत और सांसद से मुख्यमंत्री तक के अजय गाथा बताते हैं।
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यम्केश्वर तहसील के एक छोटे से पहाड़ी गांव पंचूर गांव में हुआ था। पंचूर गांव से निकलकर नाथ संप्रदाय के संत बने योगी आदित्यनाथ। योगी आदित्यनाथ के संन्यास लेने से पहले उनका नाम अजय सिंह बिष्ट हुआ करता था। बात अगर योगी आदित्यनाथ के परिवार की करें तो योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन विभाग में रेंजर थे। योगी आदित्यनाथ की माता सावित्री देवी गाँव में रहती हैं। योगी आदित्यनाथ के चार भाई और तीन बहने हैं। योगी आदित्यनाथ के दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं। जबकि उनके एक भाई सेना में गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार हैं। बात अगर योगी की शिक्षा की करें तो तो योगी ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गाँव के ही स्कूल से ली थी।
तस्वीर खिंचवाने का था शौक, लेकिन स्वभाव से थे शर्मीले
योगी आदित्यनाथ को बचपन से ही तस्वीरें खिंचवाने का खूब शौक था। उनके बचपन और गोरखनाथ मठ में दीक्षा लेने की तस्वीरें भी अब तक रखी हुई है। पढ़ाई के दौरान सीएम योगी की ओर से बनाए गए नोट्स को भी उनके घर वालों ने सहेज कर रखा है। योगी जिस कमरे में अपना बचपन गुजारा करते थे आज भी वह अपने गांव जाने के बाद उसे कमरे में रहते हैं ।
गणित में थे तेज और तन्हाई पसंद थे योगी आदित्यनाथ
आपको बता दें कि पढ़ने में भी योगी आदित्यनाथ बहुत तेज हुआ करते थे। योगी आदित्यनाथ को अकेले रहना पसंद था योगी आदित्यनाथ गणित में खूब देश है। उनके पिताजी कहते हैं कि वे रात को 12 बजे तक कमरे में रहकर पढ़ाई किया करते थे और फिर सुबह 4 बजे उठकर पढ़ने लगते थे।
प्रकृतिक और पेड़-पौधे प्रेमी थे योगी आदित्यनाथ
बात अगर योगी आदित्यनाथ की शौक की करें तो योगी आदित्यनाथ को पेड़ पौधा लगाना खूब पसंद था। योगी आदित्यनाथ के गांव में पानी की अक्सर कमी रहती थी इसके बाद भी आधा किलोमीटर दूर से पानी मंगवा कर व पौधों में पानी डालते थे, इसके लिए उन्होंने एक मजदूर को रखा था। योगी के इस बगीचे में आम, अमरूद, आंवला, कटहल, नींबू,बादाम और अखरोट के पेड़ हुआ करते थे। योगी आदित्यनाथ जब अपने घर पंचूर आए थे तब भी वे अपने द्वारा लगाए गए बगीचों को देखने गए थे। साथ ही साथ इसे सफाई करने और समय-समय पर खाद पानी देने का भी निर्देश दिया था।
डिग्री की चोरी से Msc करने में रहे असफल
योगी आदित्यनाथ अपनी स्नातक की पढ़ाई करते समय 1990 में ABVP से जुड़े थे। सन 1993 में श्रीनगर डिग्री कॉलेज से योगी आदित्यनाथ ने गणित विषय के साथ अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। योगी आदित्यनाथ के डिग्री से जुड़े कागजात को लेकर भी एक कमाल का किस्सा है। दरअसल, जब योगी आदित्यनाथ कोटद्वार में रहा करते थे तब उनके कमरे में सामान की चोरी हो गई। चोरी की गई समान में योगी आदित्यनाथ की डिग्री के कागजात थी। इस कारण गोरखपुर से एमएससी के पढ़ाई करने का प्रयास भी उनका असफल रहा गया, फिर योगी आदित्यनाथ ने ऋषिकेश में Msc प्रवेश ले लिया। लेकिन मंदिर आंदोलन के प्रभाव के बाद उनका खिंचाव मठ की ओर हो गया।
1993 में महंत अवैद्यनाथ से मिले और 1994 में बसंत पंचमी को ली दीक्षा
योगी आदित्यनाथ साल 1993 में पढ़ाई के दौरान ही गुरु गोरखनाथ पर शोध करने गोरखपुर गए। गोरखपुर में समय बिताने के दौरान वे गुरु गोरखनाथ पीठ के महंत रहे अवैधनाथ के संपर्क में आए। महंत अवैध नाथ योगी आदित्यनाथ के पड़ोसी गांव के निवासी थे। उनके परिवार के पुराने परिचित भी थे। योगी आदित्यनाथ अवैधनाथ के शरण में चले गए और उनसे पूर्ण दीक्षा प्राप्त की। योगी आदित्यनाथ 21 साल की आयु में सन 1994 में वसंत पंचमी के दिन पूर्ण रूप से सन्यासी बन गए। जिसके बाद उनका नाम अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गया। महंत अवैधनाथ ने 1994 में योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था।