चैत्र नवरात्र में है अद्भुत संयोग, जानें मां दुर्गे किस सवारी से आयेंगी,क्या रहेंगे नियम

by motherland
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चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से होने वाली है। जो कि 11 अप्रैल तक खत्म होगी। भक्तजनों में माँ अंबे की पूजा अर्चना को लेकर काफी उल्लास है। ये नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। और नवमी तक चलेगी। दशमी को भक्तजनों के पारण करने के बाद यह व्रत पूरा माना जाता है। नवरात्रि में समय कई बार घटती और बढ़ती भी हैं। किसी तिथि को 24 घंटे से अधिक तो कभी 12 घंटे से कम होते हैं। आमतौर पर माँ दुर्गे का यह त्योहार 9 दिनों का होता है लेकिन कभी कभी समय के ऊपर नीचे होने से 9 से अधिक भी हो जाती है। और घटने की स्तिथि में 8 या फिर 7 दिन की भी हो जाती है। नवरात्रि में हर दिन का अपना खास महत्व होता है। अष्टमी का नवरात्र में सबसे अलग और खास महत्व होता है।

9 दिनों के इस बार के नवरात्रि में रहेगा अद्भुत संयोग

इस बार नवरात्र में माँ अंबे घोड़े पर सवार होकर आयेंगी। इस बार नवरात्र का ये त्योहार 9 दिनों का होने वाला है। और शास्त्रों 9 दिनों की नवरात्रि को काफी शुभ माना जाता है। इन 9 दिनों में माँ अंबे की 9 रूपों अराधना की जाती है। 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 तक माँ दुर्गे के अराधना का यह त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाएगा। इसमे कहीं कहीं बड़े बड़े पंडाल की भी व्यावस्था की जाती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और संयोग 

कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि की शुरूआत हो जाती है। इस स्थापना को घटस्थापना भी कहते हैं। इस बार नवरात्रि घटस्थापन का मुहूर्त 2 अप्रैल 2022 शनिवार को प्रातः काल में 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना के दिन यानी पहले दिन देवी शक्ति के पूजा के साथ नवरात्रि की शुरुआत होगी। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि कलश स्थापना के दिन अगर मुहूर्त में पूजा और स्थापना ना की जाए तो मां अप्रसन्न हो जाती हैं। इसलिए कलश स्थापना और नवरात्रि के पूजा कार्य शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए।

कलश स्थापना के दिन जरूरी नियम 

कलश स्थापना का सबसे उत्तम समय दिन का पहला तिहाई हिस्सा होता है। और दूसरी स्तिथि में अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना जाता है। कलश स्थापना के लिए चौड़े मुँह वाला मिट्टी का बर्तन लें और उसमें सप्तधान्य बोयें। इसके ऊपर कलश में जल भरे और ऊपरी भाग में कलवा बांधे। कलश के ऊपर आम का पल्लव रखे। फिर नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखे। नारियल में भी कलवा लपेटे। अब घटस्थापन के बाद मां अंबे की आव्हान करें।

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