भारत ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन मसले पर यूएनएससी की बैठक के दौरान वोटिंग से दूरी बनाई है. यूएनएससी ने 27 फरवरी की देर रात एक आपात बैठक बुलाकर यूएन महासभा में आगे की चर्चा का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव पर सभी 15 सदस्य देशों ने अपनी बात रखी और इसके बाद वोटिंग करवाई गई. इस वोटिंग में यूएन महासभा का आपात सत्र बुलाए जानें कोई लेकर 11 देशों ने पक्ष में वोट किया और तीन देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.जिन तीन देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया उसमें भारत के आलावा यूएई और चीन भी शामिल हैं. इसके अलावा रूस ने अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल किया. यूएनएससी में महासभा की बैठक के लिए केवल 9 वोटों की जरूरत पड़ती है और वीटो या विपक्षी वोट का ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता है.
भारत ने कहा- “संवाद और कूटनीति ही विकल्प”
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि “ये बेहद अफसोस की बात है कि इस मुद्दे पर दो दिन पहले ही सुरक्षा परिषद की मीटिंग के बावजूद यूक्रेन में हालात और खराब हो चुके हैं. हम अपनी मांग को फिर दोहराते हैं कि हिंसा को छोड़कर दुश्मनी खत्म की जाए. कूटनीति और संवाद के रास्ते पर लौटने के आलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है. यूक्रेन और रूस के दोनों देशों के नेताओं से बातचीत में भारत के प्रधानमंत्री ने भी मजबूती से यही बात कही है.अंतर्राष्ट्रीय कानून, यूएन चार्टर और सभी देशों की सीमा एवं संप्रभुता का सम्मान करने से ही दुनिया चलती है. हम सभी इस सिद्धांत पर सहमत हैं.”
यूएन महासभा में रूस को अलग थलग करने की कोशिश
आज देर रात यूएन महासभा की आपात बैठक को बुलाया गया है. रूस के लिए ये चिंता का सबब बन सकती है तो अमेरिकी और नेटो के लिए रूस को घेरने का मौका. 40 साल के बाद यूएनएससी ने पहली बार ऐसी बैठक के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. साल 1982 में अंतिम बार और 10 वीं बार इस बैठक को आयोजित किया गया था.आज की बैठक 1950 के बाद 11 वीं बैठक होगी.
इस बैठक में यूएन के सभी 193 सदस्य देश हिस्सा लेंगे और चर्चा के बाद वोटिंग भी होगी.
इस बैठक के दौरान वोटिंग के लिए रूस या संबधित देश मानने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है. ऐसी बैठकों को प्रेसर टैक्टिक्स की तरह देखा जाता है जिसमें संबधित देश पर भूराजनैतिक रूप से दबाव बनाया जा सके.
लेखक: गौरव मिश्र