उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव पर सहमति जताई जिसमें लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में यूपी एसआईटी की जांच की निगरानी के लिए अपनी पसंद के एक रिटायर्ड जज की नियुक्ति की जाने की बात प्रस्तावित थी।
बता दें कि 3 अक्टूबर को यूपी ज़िले में एक एसयूवी के विरोध प्रदर्शन में टक्कर लगने से चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद कथित तौर पर दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
भाजपा नेता अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष कथित तौर पर कार के अंदर था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। CJI एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी जांच में निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों के शामिल होने का मुद्दा भी उठाया।
इसके लिए कोर्ट ने यूपी कैडर से संबंधित आईपीएस अधिकारियों के नाम मांगे, लेकिन राज्य के मूल निवासियों को जांच टीम में शामिल नहीं किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि उसे संबंधित न्यायाधीश की सहमति लेनी होगी और जांच की निगरानी के लिए शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों के नामों पर भी विचार करना होगा।
सहमति जताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि राज्य को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जांच की निगरानी करने के लिए अपनी पसंद के पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति से कोई समस्या नहीं है लेकिन ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वो उत्तर प्रदेश का मूल निवासी नहीं होना चाहिए।