सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय नागरिकों की निगरानी के लिए इजरायली स्पाईवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की।
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन करेंगे।
बेंच ने विशेषज्ञ समिति को आरोपों की पूरी तरह से जांच करने और अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई आठ सप्ताह बाद तय की है। बेंच ने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक की निजता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा, ‘हम इन्फॉर्मेशन के युग में रहते हैं और हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण है, लेकिन न केवल पत्रकारों के लिए बल्कि सभी नागरिकों के लिए निजता के अधिकार की रक्षा करना महत्वपूर्ण है।’
‘हम सुरक्षा के मुद्दों को जानने के इच्छुक नहीं हैं’
हालांकि अदालत ने पूछा कि क्या सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कोई और हलफ़नामा दायर करना चाहती है। इसपर केंद्र ने कहा कि यह मुद्दा “राष्ट्रीय सुरक्षा के सवालों” से भरा हुआ है और इसलिए वह सार्वजनिक हलफ़नामे में विवरण नहीं देना चाहता है।
इस बात पर अपने आदेश को सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम किसी भी तरह से उन मुद्दों को जानने के लिए इच्छुक नहीं हैं जो सुरक्षा या रक्षा या किसी अन्य राष्ट्रीय हित के मुद्दे से संबंधित हैं। हमें केवल इस बात की चिंता है कि कुछ विशेष नागरिकों, पत्रकारों, वकीलों आदि के ख़िलाफ़ कुछ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था, हम ये जानना चाहते हैं कि क्या इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सरकार द्वारा क़ानून के तहत अनुमेय के अलावा किसी और तरीके से किया गया है।”
बता दें कि केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मामले में विस्तृत हलफ़नामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था। ये दलीलें सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनेताओं और पत्रकारों पर इजरायली फ़र्म एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके कथित तौर पर जासूसी करने की रिपोर्ट से जुड़ी हुई हैं।