देश-विदेश: यूएन के जांच आयोग से रूस की दिक्कतें बढ़ेंगी?

by MLP DESK
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यूएनएचआरसी में रूस के खिलाफ़ एक पेश प्रस्ताव के दौरान वोटिंग के बाद पूरे मामले में एक जांच आयोग के गठन के प्रस्ताव को भी पास किया गया है. यूएनएचआरसी में ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा रूस के युद्ध के कदम के खिलाफ़ निंदा प्रस्ताव पेश किया गया था. इस प्रस्ताव के साथ युद्ध अपराध और अराजकता के खिलाफ़ यूएन की अगुवाई में एक जांच आयोग को भी अनुमति मिल गई है.

भारत और पाकिस्तान ने वोटिंग से बनाई दूरी

रूस के युद्ध अपराध के खिलाफ़ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने बैठक के बाद वोटिंग का आयोजन किया. इस दौरान 32 सदस्य देशों ने वोट किया.जिसमें से इरिट्रिया और खुद रूस ने पक्ष में वोट किया है. इसके अलावा 13 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाई है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक के दौरान भारत ने भी वोटिंग से दूरी बनाई है. भारत के साथ चीन, पाकिस्तान, क्यूबा और वेनेज़ुएला में वोटिंग से दूरी बनाए रखी है. आज की वोटिंग से पहले भी भारत ने यूएनएचआरसी और यूएनजीए में रूस के खिलाफ़ पेश निंदा प्रस्ताव में यही रुख अख़्तियार किया है.

रूस के खिलाफ़ जांच आयोग के मायने?

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में जांच आयोग के पारित होने के बाद संभावना जताई जा रही है कि रूस की यूक्रेन में कार्यवाही के खिलाफ़ आयोग को हरी झंडी मिल सकती है. इस आयोग का गठन पिछली बार सीरिया के मामले में। किया गया था. अगर रूस पर इस आयोग की आंच आती है तो हो सकता है कि रूस को कड़े सवालों का सामना करना पड़ सकता है.

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने जांच आयोग के गठन पर खुशी जताते हुए कहा कि”मैं यूक्रेन के खिलाफ रूसी युद्ध अपराधों के तथ्यों की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय जांच आयोग की यूएन मानवाधिकार परिषद की स्थापना का स्वागत करता हूं. साक्ष्य का दस्तावेजीकरण और अंतरराष्ट्रीय अदालतों में उपयोग किया जाएगा.रूसी युद्ध अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा.”

लेखक: गौरव मिश्र

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