देश-विदेश: क्या एफएटीएफ की कार्यवाही से पाकिस्तान की आर्थिक सेहत बिगड़ेगी?

by Disha
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पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे पर एक बार फ़िर बडा झटका लगा है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक के आख़िरी दिन शुक्रवार को पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बरकरार रहने का निर्णय लिया है. इससे पहले 2018 से लागतार पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल है हालांकि इस बार पाकिस्तान के ब्लैक लिस्ट में जाने के भी कयास लगाए जा रहे थे. पाकिस्तान को इस बार के रिव्यू के बाद ग्रे लिस्ट में ही रखा गया है जिसकी समय सीमा जून 2022 तक होगी. फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1 मार्च से जारी इस बैठक में संयुक्त अरब अमीरात को ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया है. इसके अलावा ईरान और उत्तर कोरिया ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं.

 

Credit- Reuters

पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बरकरार रहने के मायने

पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था, महंगाई और कर्ज के बीच एफएटीएफ की कार्यवाही बड़ा असर डाल सकती है.एफएटीएफ की विजिलेंस टीम द्वारा पाकिस्तान कोई लिस्टेड किए जाने का मतलब है कि यूएन द्वारा घोषित आतंकवादियों की मदद करने से है.एफएटीएफ का मानना है कि पाकिस्तान ने टेरर फंडिंग जैसे कार्यों में अपनी संलिप्तता में कोई कटौती नही लाया है.
ग्रे लिस्ट में जाने के बाद एफएटीएफ की निगरानी में संबधित देश के इकॉमनिक डेवलपमेंट पर नज़र रखी जाती है. पाकिस्तान में एफएटीएफ का एशियन पैसेफिक ग्रुप यानी एपीजी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे ही अलग अलग कॉन्टिनेट के हिसाब मसलन यूरोप, दक्षिण अमेरिका जैसी लोकल ग्रुप्स को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है.
सबसे ख़ास बात तो ये है कि संबधित देश कोई इंटरनेशनल फंडिंग एजेंसियों और देशों से वित्तीय सहायता मिलने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगली बैठक तक फाइनेंशियल एक्टिविटीज में कटौती नहीं देखी जाती है तब ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी जाती है.

क्या है एफएटीएफ?

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ एक इंटरगोवरमेंटल संगठन है. इसे 1989 में G 7 देशों की पहल पर बनाया गया था. इसमें 39 देश और संगठन शामिल हैं. संगठन में शामिल मुख्य देश अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, रूस, और चीन हैं. भारत 2006 से इस संगठन में बतौर पर्यवेक्षक शामिल किए गया था और बाद में 2010 में 34 वें सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया.
इस संगठन का काम मनी लांड्रिंग, टेरर फंडिंग, वित्तीय अनिमियतता जैसी एक्टिविटी पर ध्यान रखना होता है. इसके अलावा फाइनेंशियल व्यवस्था को कैसे साफ सुथरा बनाया जाए इस पर भी काम किया जाता है.एफएटीएफ की एक साल में तीन बार बैठक आयोजित की जाती है.

लेखक: गौरव मिश्र

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